सोमवार, 8 जून 2015




छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ ...............अपने आप में हर राज्य से कही ज्यादा सरल और सहज जहाँ हर जाती सम्प्रदाय के लोग निवासरत है |सरल और सहज भाषा छत्तीसगढ़ी की अपनी अलग ही लौलिकता और पहचान है |यहाँ की भौगोलिक पृष्ठ भूमि को तीन भौगोलिक प्रदेश में बांटा गया है |१.बघेल खंड का पठार२.छत्तीसगढ़ का मैदानी  प्रदेश ३.बस्तर का वन प्रदेशछत्तीसगढ़ का नाम छत्तीसगढ़ क्यों पड़ा यह आज भी प्रश्न का विषय है? किन्तु जनश्रुति के अनुसार यहाँ ३६ किले (गढ़ ) थे जिसके आधार पर "छत्तीसगढ़ "नाम पड़ा |पर मेरी नजर में छत्तीसगढ़ 36 देवीय सत्ता का केंद्र बिंदु है |भारत की ह्रदयस्थली कही जाने वाली छत्तीसगढ़ की अपनी महिमा ही निराली है सुदूर वन से आन्छादित बस्त्तर का  सौन्दर्य अपने आप में निराला है |मेरी discovry lief  में मै छत्तीसगढ़ को अपना   दृष्टीकोण दे रही हूँ जहाँ से मैंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण स्थानों को अपने ढंग से देखा और परखा है |सिहावा पर्वत  से निकली "महानदी "छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा है |अपितु इन्द्रावती ,पैरी ,खारुन ,व् हसदो भी मुख्या नदिया है जो महानदी में ही समाहित हो कर अंत में बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है |जिसका मनोहारी दृश्य हमें उड़ीसा के चिल्का झील में देखने को मिलता है |सुदूर वनों से आन्छादित छत्तीगढ़ की जलवायु कर्क रेखा के मध्य होने के कारण गर्मी में अत्यधिक गर्म और वर्षा ऋतू में अत्यधि वर्षा लिए होती है |शीत ऋतू में साधारण ठण्ड रहता है |यहाँ का मौसम मुझे अत्यधिक प्रिय है |मैंने हर मौसम में यहाँ की प्रकृति को आसमान की तरह बदलते देखा है |चारो  तरफ हरियाली और पतझड़ में सूखापन छत्तीसगढ़ के समृद्धि के साथ साथ यहाँ के विकास और प्रगति के लिए जूझते गाँवो और कस्बो को आज भी संघर्ष करते देखा है |पौराणिक कथाओ के अनुसार छत्तीसगढ़ को कौसल राज्य कहा जाता था |कौसल अर्थात कुशलता जो राज्य स्वयं में कुशल शासको के सानिध्य था स्वाभाविक है वह राज्य अपने समय में अपनी स्वर्णिम गाथा स्वयं कहता रहा होगा |भगवान् श्री राम चन्द्र जी की माता कौसल्या की जन्म स्थली छत्तीसगढ़ है |यहाँ महाभारत -रामायण काल के कई प्रमाण है जिनमे  भगवान् राम के पुत्र कुश के इस कौसल राज्य में रहने के प्रमाण है साथ ही श्रींगी,लोमस ,अत्री ,व अगस्त ,सरभंग .मतंग आदि ऋषि-मुनियों के आश्रम भी छत्तीसगढ़ में ही है |प्रमाणों के आधार पर दसवी शताब्दी में यहाँ कल्चुरीवंश का शासन था |इसके पश्चात भोसले वंश के शासको ने यहाँ शासन किया |1854  में यह अग्रेजो के अधीन हो गया था |वर्तमान में 01 नवम्बर 2000 को स्वतन्त्र राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हुआ|तब से लेकर आज तक छत्तीसगढ़ विकास और प्रगति की है|


छत्तीसगढ़ ..गढ़ अर्थात 'किला 'कहा जाता है छत्तीसगढ़ ३६ किलो का ही एक गढ़ है |जिसका प्रचार १४४३ में प्रभाव में आया |अंचल में वर्त्तमान में अनेक प्राचीन किलो के अवशेष आज भी छत्तीसगढ़ के इतिहास को प्रमाणित करते है |जिनमे से :-
 रतनपुर के 18 गढ़ :-1) रतनपुर, 2) मारो 3) विजयपुर 4) खरोदगढ़ 5) नवागढ़ 6) सौंठीगढ़ 7) कोटागढ़ 8) ओखरगढ़ 9) पंडरभट्ठा 10) सेमरिया 11) चांपा 12) लाफा 13) छुरी 14 ) कैंदागढ़ 15) मातीन 16) अपरोरा 17) पेंड्रा 18 ) करकट्टी
 रायपुर के 18 गढ़ :-1) रायपुर 2) पाटन, 3) सिमगा 4) सिंगारपुर 5) लवण 6) ओमेरा 7) दुर्ग 8) सरधा 9) सिरसा 10) मोहदी 11) खल्लारी 12) सिरपुर 13) फिंगेश्वर 14) राजिम 15) सिंघनगढ़ 16) सुवरमार 17) टेंगनागढ़ 18) अकलतरा है |
इनमे से महत्वपूर्ण किला लाफागढ़ ,गढ़ फुलझर ,धमधा आदि स्थान के किले है |जो छत्तीसगढ़ के शान को आज भी प्रदर्शित करते है |

1) रायपुर 2) पाटन, 3) सिमगा 4) सिंगारपुर 5) लवण 6) ओमेरा 7) दुर्ग 8) सरधा 9) सिरसा 10) मोहदी 11) खल्लारी 12) सिरपुर 13) फिंगेश्वर 14) राजिम 15) सिंघनगढ़ 16) सुवरमार 17) टेंगनागढ़ 18) अकलतरा है |
1) रायपुर 2) पाटन, 3) सिमगा 4) सिंगारपुर 5) लवण 6) ओमेरा 7) दुर्ग 8) सरधा 9) सिरसा 10) मोहदी 11) खल्लारी 12) सिरपुर 13) फिंगेश्वर 14) राजिम 15) सिंघनगढ़ 16) सुवरमार 17) टेंगनागढ़ 18) अकलतरा है |
1) रायपुर 2) पाटन, 3) सिमगा 4) सिंगारपुर 5) लवण 6) ओमेरा 7) दुर्ग 8) सरधा 9) सिरसा 10) मोहदी 11) खल्लारी 12) सिरपुर 13) फिंगेश्वर 14) राजिम 15) सिंघनगढ़ 16) सुवरमार 17) टेंगनागढ़ 18) अकलतरा है |